बनारस का परिचय व संस्कृति
"बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और जब इन सब को एकत्र कर दें तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।“ -मार्क ट्वेन
बनारस मंदिरों का शहर, शिव की नगरी, भारत की धार्मिक राजधानी, दीपों का शहर, पवित्र गंगा नदी के किनारे अर्धचंद्राकार रूप में बसा प्राचीनतम सांस्कृतिक एवं धार्मिक शहर है। “बनारस”, वाराणसी या काशी को सभी धर्मों ने पवित्र शहर माना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिंदू भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। वाराणसी का विस्तार गंगा नदी के दो संगमों एक वरुणा नदी से और दूसरी असि नदी से संगम के बीच बताया जाता है। इन संगमों के बीच की दूरी लगभग ढाई मील है, इस दूरी की परिक्रमा हिंदुओं में पंचकोसी परिक्रमा कहलाती है। बनारस का पान और बनारसी साड़ी विश्व प्रसिद्ध है। भारतीय रेल का बनारस रेल इंजन कारखाना भी वाराणसी में स्थित है।
बनारस में 70% आबादी हिंदू, 28% मुस्लिम तथा 2% अन्य धर्मों के लोग हैं। बनारस में महान विभूतियों का वास रहा है जैसे रानी लक्ष्मीबाई, बाबा कीनाराम, पतंजलि व अन्य। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा और विकसित हुआ। भारत के कई दार्शनिक कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं जैसे कबीर, रविदास, वल्लभाचार्य, गिरजा देवी, बिस्मिल्लाह खान, हरिप्रसाद चौरसिया, जयशंकर प्रसाद इत्यादि।
गोस्वामी तुलसीदास ने हिंदू धर्म का रामचरितमानस यही लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन बनारस के ही पास सारनाथ में दिया था।
वर्तमान समय में बनारस में 3 तहसील, 8 ब्लॉक, 108 न्याय पंचायत, 760 ग्राम पंचायत, 1327 गांव है।
ओलम्पिक एवं खेलों का संक्षिप्त इतिहास
ओलंपिक खेलों का इतिहास बहुत ही पुराना है। प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन 1200 ई. पूर्व. योद्धा खिलाड़ियों के बीच हुआ था। ओलंपिया पर्वत पर खेले जाने के कारण इसका नाम ओलंपिक पड़ा। ओलंपिक खेल प्रतियोगिता में अग्रणी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें हजारों एथलीट कई प्रकार के खेलों में एक साथ भाग लेते हैं। ओलंपिक खेल प्रत्येक 4 वर्ष के अंतराल पर खेला जाता है। प्राचीन ओलंपिक में दौड़, मुक्केबाजी, घुड़सवारी, रथदौड़ और मल्लयुद्ध इत्यादि प्रमुख खेल थे।
ओलंपिक ध्वज के मध्य में ओलंपिक प्रतीक के रूप में पांच रंगीन छल्ले एक दूसरे से मिले हुए दर्शाए गए हैं, जो विश्व के 5 महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओलंपिक मशाल को जलाने की शुरुआत 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक से शुरू हुई।
प्राचीन ओलंपिक में जैतून की पत्तियों के द्वारा बने मुकुट को पुरस्कार के रूप में दिया जाता था। मेडल के रूप में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक ओलंपिक खिलाड़ियों को प्रदान किए जाते हैं। बनारस का खेल की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है। यहां से हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, तीरंदाज, कुश्ती, जूडो, बास्केटबॉल, क्रिकेट के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हुए है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाराणसी जनपद के साथ-साथ भारत का नाम रोशन किया है।